यारो ! ये बड़े ताज्जुब के साथ व्यक्त करना पड रहा है के आजकल व्यक्ति का व्यवहार उसी को ही सामाजिक तौर पे बर्बाद क्र रहा है ! न जाने क्यूँ हर मसले पर वो इतना घुस चूका है के वो खुद ज़िन्दगी को भूल गया है! मेने तो अक्सर ऐसे लोगो को देखा है जो बहुत खुश रहते थे पर कुछ कतोष्टि हालातो में बदल गया ! वो खुद में ही बर्बाद सा हो गया ! वो जिन्हें अपना दोस्त समझता था वो उससे बदलते हुए लगने लगे और दुश्मन लगने लगे! उसका आपनी ज़िन्दगी को खुद ही बर्बाद करने लगा! जैसे - में!
किस्मत को देता रहा दोष! खुद से ही अलग हो गया ! जो चीज़े बहुत अच्छी लगती थी वो एकदम से बदली बदली लगने लगी!
सोच और समाज !!
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