Friday 3 October 2014

बारिश के रूहे

आप कभी हारते या जीत ते नही हूँ बारिश मे भीग के! बस आप भीगते हूँ! एक वक़्त के लिए सब कुछ भूल जाते हो!कितने सवाल, खायल उस वक़्त से पहले होते है! जैसे सारी सड़के और छत धूल जाती है वैसे ही वो ख्याल सवाल धूल जाते है! कुछ वक़्त के लिए आप ऑफीस और घर की परेशानियो से कही दूर चले जाते हो! बहुत दूर! शायद यही लम्हा ज़िंदगी होता है! आप कुछ सोचते नही सिर्फ़ महसूस करते हो!

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