موجهے اگار زینداگی جےےنے کی تانکهواه میلنے لاگے تو یے زینداگی کی ناوکری بهی بهوت جی لاگا کے کارو پربهادهے پار میلنے والی پارےسهانییا اور کیسمات کی تووتی پهووتی باستی مے سوکون کو داریافت کارنا بادها پےچهیدا کآم های!
Wednesday, 13 May 2015
Saturday, 9 May 2015
Today's Interview - New Gen Technologies, Chennai
Today is my interview at New Gen solution, Chennai. But the Job location is also Delhi/Noida. So, i am pretty much interested to go for the interview. But as usual, my procastination sucks the opportunity again. I wish i can study for the whole weak or atleast on the last whole night. I have opened my laptop and check multiple songs but not a single java code. Woke up at 9 and interview is been scheduled at 10 in the morning . For a once,i thought of let it go this once also like i earlier did. Somehow, i have reached siruseri IT park around 10:30 at new gen building. They gave me a 2 stapled sheet which i need to fill. It includes all my information. For a while i thought that this is the only round they may have. I wish. Then, i called up for the technical round, a serious-looked, mildly mostached tamil man of middle age of 35-40 is been sitting in front of me on the round table which is having some A4 sized loose sheet and my resume and that filled up form. I am not nervous at all, i am completely blank. Completely blank that whatever question raised to me i completed said "no" or "i dont know" in my answer. Initially, i asked me to Introduce myself. Un-hestitately i promply replied. Then, the fire of technical questions is sprinkled on me.
Make a program to read from a text file and copy it to another text file?
How much you have learned in Java?
Make a Palindrome Program.
What do u mean by Result set?
Which application server you're using?
Do you worked on JBoss?
Any Idea about JSP?
Database questions like difference between Outer-Join and Inner-Join, what is a foreign key and use of Foreign key?
And there are lot more question which i sinked from my mind space. But I am having a fair idea that i wont be selected. And then HR who is managing all the interviewee called me and with a lower pitch of tone, she said
"Sorry. You have not cleared the test. You can leave now!"
How much you have learned in Java?
Which application server you're using?
अंधी मशाले
अँग्रेज़ी मे जिसे रेवोल्यूशन कहा जाता है। 'क्रांति'। ये बड़ा ही कट्टर, क्रूर और मज़बूत सा लफ्ज़ है. बदलाव और तब्दीली प्रतीत करने वाला ये लफ्ज़ विचारधाराए की अंधी भीड़ मे ले डुबोता है। लाठी वाले गाँधी बाबा ने शायद MBA की Anger Managerment की ज़बरदस्त रुझान वाली क्लासो मे उपस्तिथि दाखिल की होगी की सालो-साल तक उनका क्रोध अहिंसा मे ना बदला। जब गुस्सा आता, वो बाहर से नही, अपने अंदर से लड़ लेते. कभी मौन व्रत, कभी आमरण अनशन या खादी-मे होने की प्रेरणा।
पर क्रांति मे 2 तरह के लोग सहयोगी होगी है। एक जो नारा का पहले वक्ये बोलता है और दूसरा जो बचा कूचा बोलता है। पहले वाली आवाज़ बुलंद और कान मे धप्प सी गूँजती और दूसरे वर्ग की आवाज़ मे कंपन, गूँज और वेराइटी होती है। आगे से एक ज़बरदस्त बुलंद आवाज़ मे नारा लगता है - "इंक़लाब" पीछे खड़े सारे लोग चिल्लाते है -"ज़िंदाबाद" जैसे हवा मे Sin-Cos की तरंगे फैल रही हूँ. एक वक्ता। हज़ार श्रोता। एक अनार। सौ बीमार!
बचपन मे बेगपाइपर और चूहे वाली कहानी तो याद होगी ही, चूहो के आतंक से परेशन गाँववाले गाँव से सारे चूहो को खदेड़ने के लिए बेगपाइपर को बुलाते है। और उसकी ध्वनि सुन कर के सारे चूहे पीछे पीछे आने लगते है।
और वो उन्हे ले जा के उन्हे खाई मे फेक आता है।
वैसे में बाल की खाल नोचने मे ज़्यादा वक़्त ज़ाया नही करता पर अब ऐसा सोच के देखे। अब इस कहानी मे चूहो की क्या मानसिकता रही होगी, वो जिस सुरीली वाणी मे मदमस्त थे। वो उन धुँओ मे जितना खोते रहे, उतनी ही दीवानगी सर चढ़ने लगती। वो सुरीले नगमे उनको 'ब्रेन वॉश' करने की प्रक्रिया मे शामिल था। वो सुरीली आवाज़ ने उन्हे मारने की सुपारी ली थी। पर उनके लिए वो सुरीली आवाज़ थे और वो धुन मे धुत थे.
खैर, ज़्यादातर उधारण मे ऐसा ही होता है. बेगपाइपर आपके सपनो का शोषण करता है और धकेल देता है एक अनंत खाई मे!
वो अंधी मशाले जो किसी ने जलाई थी, धीरे धीरे आग का मतलब और मकसद भूल जाती है। जब आग का व्यापार होने लगता है, तो हवा भी साजिश करती है आगो से, के वो जलती भी रहे और बुझ भी ना पाए।
तो सबसे बेहतर तामीर यही हो सकती है के पहले तो आग तो ना ही पकड़ो तो बेहतर है क्यूंकी किसी ने कहा है "आग से खेलो तो हाथ तो जलेंगे ही" बेहतर है दूर रहो या "ऐसा ही होता आ रहा है" या "जाने दो" की तसल्ली दिल पे हाथ रख कर दे दो। पर खुदा ने इंसान को सोच समझने की ऐसे ताक़त दी है के दिल की किसी ना किसी कोने मे शिकवा, गुरूर या प्रतिशोध का जुगनू दिल मे घुसा ही रहता है। अब ये आप पे है के आप उस आग को अपने लिए ज़रूरी समझते है या नही। अगर ज़रूरी है तो भी आग अगर सर्दिया मे अलाव बन रही है तो ठीक है वरना गर्मियो मे अलाव! आप समझदार हो!
पर क्रांति मे 2 तरह के लोग सहयोगी होगी है। एक जो नारा का पहले वक्ये बोलता है और दूसरा जो बचा कूचा बोलता है। पहले वाली आवाज़ बुलंद और कान मे धप्प सी गूँजती और दूसरे वर्ग की आवाज़ मे कंपन, गूँज और वेराइटी होती है। आगे से एक ज़बरदस्त बुलंद आवाज़ मे नारा लगता है - "इंक़लाब" पीछे खड़े सारे लोग चिल्लाते है -"ज़िंदाबाद" जैसे हवा मे Sin-Cos की तरंगे फैल रही हूँ. एक वक्ता। हज़ार श्रोता। एक अनार। सौ बीमार!
बचपन मे बेगपाइपर और चूहे वाली कहानी तो याद होगी ही, चूहो के आतंक से परेशन गाँववाले गाँव से सारे चूहो को खदेड़ने के लिए बेगपाइपर को बुलाते है। और उसकी ध्वनि सुन कर के सारे चूहे पीछे पीछे आने लगते है।
और वो उन्हे ले जा के उन्हे खाई मे फेक आता है।
वैसे में बाल की खाल नोचने मे ज़्यादा वक़्त ज़ाया नही करता पर अब ऐसा सोच के देखे। अब इस कहानी मे चूहो की क्या मानसिकता रही होगी, वो जिस सुरीली वाणी मे मदमस्त थे। वो उन धुँओ मे जितना खोते रहे, उतनी ही दीवानगी सर चढ़ने लगती। वो सुरीले नगमे उनको 'ब्रेन वॉश' करने की प्रक्रिया मे शामिल था। वो सुरीली आवाज़ ने उन्हे मारने की सुपारी ली थी। पर उनके लिए वो सुरीली आवाज़ थे और वो धुन मे धुत थे.
खैर, ज़्यादातर उधारण मे ऐसा ही होता है. बेगपाइपर आपके सपनो का शोषण करता है और धकेल देता है एक अनंत खाई मे!
वो अंधी मशाले जो किसी ने जलाई थी, धीरे धीरे आग का मतलब और मकसद भूल जाती है। जब आग का व्यापार होने लगता है, तो हवा भी साजिश करती है आगो से, के वो जलती भी रहे और बुझ भी ना पाए।
तो सबसे बेहतर तामीर यही हो सकती है के पहले तो आग तो ना ही पकड़ो तो बेहतर है क्यूंकी किसी ने कहा है "आग से खेलो तो हाथ तो जलेंगे ही" बेहतर है दूर रहो या "ऐसा ही होता आ रहा है" या "जाने दो" की तसल्ली दिल पे हाथ रख कर दे दो। पर खुदा ने इंसान को सोच समझने की ऐसे ताक़त दी है के दिल की किसी ना किसी कोने मे शिकवा, गुरूर या प्रतिशोध का जुगनू दिल मे घुसा ही रहता है। अब ये आप पे है के आप उस आग को अपने लिए ज़रूरी समझते है या नही। अगर ज़रूरी है तो भी आग अगर सर्दिया मे अलाव बन रही है तो ठीक है वरना गर्मियो मे अलाव! आप समझदार हो!
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