Sunday, 11 January 2015

Compilation

खुश्बू बारिश की नही मिट्टी की होती है.
बारिश तो बस ज़रिया है !!

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लौटा दिए मेने जवानी मे सारे बचपन के ख्वाब जैसे मेरे नौनिहाल के टूटे-फूटे खिलोने!


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ताबीज़ मे क्या केद करना उसको जो हर तरफ़ है.

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कब्र मे बैठ कर देख रहा हूँ जीने का ख्वाब.
आसान नही, मुश्किल भी नही.
शायद मुमकिन है पर इस बार 'शायद' नही!
देखते है.

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