Saturday 27 December 2014

प्यार निशब्द

प्यार कही भी और कभी भी पनप सकता है..
इश्क़ की अंकुरित बीज कही भी कोपल बन सकते है..
प्यार को पानी की संगया भी दे सकते है..
कही भी जगह बना है..
कही भी पल जाए..
और ज़रूरत पड़े तो बवाल भी बन जाए.
प्यार जिससे ना विज्ञान सुलझा पाया है.. ना कोई ग्यानि..
और ना समाज समझ पाया है..

प्यार खूबसूरत है और खूबसूरती नही देखता..
ना तराश्त है लफ्ज़..
सच कहते है प्यार अँधा होता है.. देखा सुना नही जा सकता..
सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है.. आहट पहचानता है..
बस जहा जगह दर्याफ़्त होती है.. जो वही रिस्ता जाता है..
नया रिश्ता बनता रहता है.
ईत्र है. एक मदहोशी है.
एक ख्वाब है.. और उसकी तबीर है.
रोग भी है. इलाज भी है.
ज़ख़्म भी है.. इजात है.

भूल जाता है कौनसा जिस्म पहना हुआ है..  कौनसी जात औडी है..
तब दुनिया मे सिर्फ़ दो नही..
एक ही जिस्म बाकी रह जाता है.. और उसी मे घुले हुए हिस्से.
शिकायते भी नही करता.
खामोशी को पढ़ता है.
आहट को सुनता है.

ऐसा ही होता है प्यार, बस ऐसे ही होता है प्यार!

[Img source : https://img0.etsystatic.com/012/0/6673596/il_570xN.444067078_abqv.jpg]

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