Monday, 9 February 2015

उजाला नही

ग़लती की थी वो लिखे हज़ार खत तुम्हारे हवाले ना सही आग के हवाले कर दिए थे.
बस यही सोचकर के सोच तो मिलती नही है ज़िंदगी कैसे मिलेगी :)

अब समझ मे ये नही आता. उन खातो के बुरादो का क्या करू जिस की जलाई हुई यादे अभी तक सवाल तलाश करती है.

वो कहते है ना आँखे बंद करते हो तो अंधेरा आता है उजाला नही...

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