Monday, 9 February 2015

नक़ाब

हो रहा बुज़ुर्ग मेरे अब्दर का बचपन. जो कल तक ज़मीन पर रोया था बिलक कर. लोगो से बोलता हू ज़ख़्मी भी है आजकल मुस्कुराहट मेरी मुझसे बात करो पर नक़ाब उतार कर!!!

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